तुम्हारा ख़्याल ~ कविता बिष्ट
Nov 15, 2023, 23:30 IST
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तुम्हारा ख़्याल आते ही,
ज़माना भूल जाती हूँ,
आंखों में बसे हो मेरे पलकें,
उठाना भूल जाती हूँ.....
मेरा चेहरा खिल उठता है,
जब तुम ख्वाब में आते हो,
मदहोशी इस क़दर छाई है,
ख़ुद को जगाना भूल जाती हूँ....
तुम्हारे एहसास गुनगुनाने से,
दिल में कशिश सी होती है,
जहाँ में अंधेरा जब होता है,
मैं दीया जलाना भूल जाती हूँ......
चेहरा तुम्हारा पढ़ती हूँ,
लिख नहीं पाती हूँ नगमा,'
कविता" दिल की दवात में,
कलम डुबोना भूल जाती हूँ……….
~कविता बिष्ट , देहरादून , उत्तराखंड