संविधान के अनुच्छेद-151 का हवाला या नाटकीय विदाई 

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vivratidarpan.com देहरादून, उत्तराखंड में कुछ महीने पहले अचानक उथल-पुथल हुई थी. दिल्ली से पर्यवेक्षकों की टीम दिल्ली से देहरादून पहुंची और आनन-फानन में विधानसभा की कार्यवाही के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आनन-फानन में भागकर आना पड़ा था और सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. हरिद्वार में कुंभ मेले के आयोजन से ठीक पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और मुख्यमंत्री पद पर तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई थी.सीएम की कुर्सी संभालने के बाद अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे तीरथ सिंह रावत और उनकी सरकार की हरिद्वार कुंभ को लेकर भी किरकिरी हुई थी. अभी महज चार महीने ही तो हुए थे जब पौड़ी गढ़वाल सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को बीजेपी ने सूबे का सीएम बनाया था. 10 मार्च को सूबे की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत को चार महीने भी नहीं हुए कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ गया. तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. वे सिर्फ 115 दिनों तक ही बतौर सीएम काम कर सके हैं. वे सबसे कम कम अवधि वाले सीएम भी बन गए हैं.

तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर सीएम पद से इस्तीफे की पेशकश की थी. सूत्रों की मानें तो रावत ने नड्डा को भेजे अपने पत्र में लिखा था कि सीएम बनने के बाद छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी थी लेकिन आर्टिकल 151 के मुताबिक विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते. उत्तराखंड में संवैधानिक संकट खड़ा ना हो, इसके लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहता हूं.

दिल्ली से देहरादून लौटे तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं. रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं. तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड में 20 हजार नई नियुक्तियां करने का भी ऐलान कर दिया. इसके थोड़ी ही देर बाद उन्होंने सीएम पद से अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया.