गुरु पर्व के अवसर पर मोदी सरकार ने की कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की घोषणा

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मोदी सरकार ने तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। इसके साथ ही देश के कृषि क्षेत्र में सुधार की बहुप्रतीक्षित उम्मीद फिलहाल क्षीण हो गई है। शुक्रवार को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि पूर्ण समर्पण और किसानों के हित में लाए गए इन कानूनों के फायदों को किसानों के एक छोटे वर्ग को सरकार समझा नहीं पाई। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए हर किसान अहम है, इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि इसी महीने के अंत में शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में औपचारिक रूप से इन तीनों कानूनों को रद कर दिया जाएगा।

कानून की वापसी से क्या होगा असर

पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के तराई इलाकों में भाजपा को राजनीतिक रूप से फायदा मिलेगा। इन तीनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां उसे अपने दबदबे को बनाए रखने में मदद मिलेगी वहीं पंजाब में उसके पुराने सहयोगी अकाली दल के साथ ही कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ मिल सकता है।

पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्ष के हाथ से सरकार पर हमले करने का एक मौका जरूर चला गया है। लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य मुद्दों पर विपक्षी दल सरकार के खिलाफ और आक्रामक हो सकते हैं।

 सबसे ज्यादा नुकसान कृषि क्षेत्र को होगा। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए लंबी प्रतीक्षा के बाद ये कानून लाए गए थे। इनके जरिये देश के 80 प्रतिशत छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के साथ ही देश के कृषि क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबला करने योग्य भी बनाना था। अब कानूनों के रद करने से इन प्रयासों को झटका लगेगा।

समग्र रूप से सबसे ज्यादा कोई नुकसान में दिख रहा है तो वह देश है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होता तो देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती। किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती तो ग्रामीण भारत की सेहत भी सुधरती और देश के चौतरफा विकास का सपना भी साकार होता।