दुनिया - जया भराड़े बड़ोदकर
Sep 29, 2021, 22:59 IST
| क्या खूब होती है,
कभी ये रंगीन तो,
कभी गुलजार होती है।
धोखा देती है और कभी
बड़ा सबक सिखाती है,
फूलों संग खुशबू कभी,
काटों मे सुलाती है।
धरती आसमां का न होता,
मिलन कभी ये वो क्षितिज
दिखाती है,
संकटों मे कभी ये
खूब जीना कैसे
सिखाती है।
वक्त के साथ ही ये
कौन है अपना कोंन है पराया,
भेद बताती है।
समझना ना इसे आसान,
बड़े उलझनों मे फंसाती है।
जो कुछ भी ये है मगर
जीवन की नैया पार
लगाती है।
धन्यवाद दूँ मै इसे ये,
मुझे मेरे अपनों से
मिलाती है।
- जया भराडे बड़ोंदकर
न्यू मुंबई (महाराष्ट्र)