क्यो ? - सुमी लोहानी

 | 
pic

जिस थाली मे खाया,

उसी मे छेद कर दिया।

फिर भी खाना है,

ये याद क्यो ना किया ?

जिस पेड ने,

फल, छाँव... दिया,

उसी पर कुल्हाडी चलाया।

कल फिर धूप, बारिस मे ... जरुरत पडेगी,

ये ना सोचा क्यो ?

जिस दिल ने प्यार, दुलार दिया,

उसे के ही टुकडे टुकडे कर दिया।

उन टुकडों की 'हाय', 'श्राप' लगेगी,

ये खयाल क्यो ना किया ?

जिस लाठी की सहारे नदी पार किया,

किनारे मे पहुचने पर उसे ही भूला दिया।

और भी कई नदियाँ पार करनी है,

क्या यह तुम्हें मालूम ना रहा ?

जिन हाथों ने चोटों पर मलहम लगाया,

उन्ही हाथों को बिसरा दिया,

आगे भी घाव, चोट लगेगी।

- सुमी लोहानी, काठमांडू , नेपाल