कौन सा वक्त = राजीव डोगरा 'विमल'

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न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

सब कुछ ढलता जा रहा है।

न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

सब कुछ बदलता जा रहा है।

न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

सब कुछ खामोश करता जा रहा है।

न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

सब कुछ ठहरता जा रहा है।

न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

जो सब कुछ छीनता जा रहा है।

न जाने कौन सा वक्त है

जो वक्त के साथ

सब कुछ नजर अंदाज करता जा रहा है।

= राजीव डोगरा 'विमल', ठाकुरद्वारा

कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश