वक्त कहाँ = राजीव डोगरा
Jun 27, 2021, 23:27 IST
| तुम्हें सोचने का वक्त कहाँ,
तुम्हें भूलने का वक्त कहाँ,
तुम्हें बुलाने का वक्त कहाँ,
आ जाते तुम ख्वाबों में तो
अच्छी बात थी,
तुम्हें मिलने का अब वक्त कहाँ।
तुम्हें कुछ कहने का वक्त कहाँ,
तुम्हें कुछ सुनाने का वक्त कहाँ,
समझ लेते खुद ही,
दिल की तन्हाइयों को तो
अच्छी बात थी,
गम सुनाने का अब वक्त कहाँ।
दिल लगाने का वक्त कहाँ,
दिल बहलाने का वक्त कहाँ,
रूठ कर मनाने का वक्त कहाँ,
तुम खुद ही इश्क कर लेते हमसे तो
अच्छी बात थी,
बार-बार इजहार करने का वक्त कहाँ।
= राजीव डोगरा 'विमल' ठाकुरद्वारा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश