इंतजार = पूनम शर्मा 

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बाट निहारे तेरी सजनी,

कर सोलह श्रृंगार  ।

आ जा सजना घर जल्दी तू,

कर दे अब उपकार ।

प्रेम ह्रदय में छिपा के रखा ,

कर दूं मैं इजहार ।

तेरी हो गई मैं जोगन,

है मुझको ये स्वीकार ।

बसता हृदय में रूप जो तेरा,

बस तेरा ही अधिकार ।

नैन बिछाए बैठी हूं मैं ,

करूं तेरा ही इंतजार ।

आकर मेरी विरह मिटा जा ,

लगा  गले तू यार ।

बाट निहारे तेरी सजनी,

कर सोलह श्रृंगार ।

- पूनम शर्मा स्नेहिल, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश