एकता में जीत = अनिरुद्ध कुमार 

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ज्ञान जागे, ज्योति बनके, दे उजाला दान।

अब कहीं ना, हो अँधेरा, मांगते वरदान।।

चेहरे पर रंग झलके, हो सकल कल्यान।

ध्यान रखना, हे विधाता, लौट आये शान।।

जिंदगी बेहाल ना हो, सब रहें खुशहाल।

देश की सोंचे हमेशा, हर घड़ी हरहाल।।

अड़चनों को मात देके, रोज ठोके ताल।

चाँद सा चमके जहाँ में, भारती के लाल।।

भोर लाये, नव सवेरा,  भाव हो नवनीत।

फूल बनके मुस्कुराये, प्यार हो संगीत।।

हर जुबां यशगान गाये, हो हृदय में प्रीत।

प्रेम से घुल मिल रहें सब, एकता में जीत।।

= अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड।