उर_की_साध = राजू_उपाध्याय

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तेरे

कानों का मैं

झुमका बन कर,

दिल की बात-

कहूँ हौले से..!

तेरी

रुनझुन सी झंकार

बनूँ मैं,

मन का साज-

बजाऊं हौले से.. !

मंद मंद

मुस्काते मुझको,

यूँ ही

छूते जाना

तुम धीमे धीमे,

मूक

स्वरों में

कह देंगे हम,

वो उर की साध-

तुमसे हौले से...!

#राजू_उपाध्याय , एटा, उत्तर प्रदेश