सफर - दीपक राही
Nov 25, 2021, 22:36 IST
| यह सफर है तुम्हारा,
लड़-खडाते हुए कदमों से
चल सको तो चलो।
सफर में धूप तो होगी,
फिर भी चल सको तो चलो।
सभी हैं भीड़ में तुम भी,
निकल सको तो चलो।
किसी को कोई
रास्ता नहीं देता,
मुझे गिरा कर अगर तुम
संभल सको तो चलो।
यही है जिंदगी
सर उठाकर कर
चल सको तो चलो।
अंधेरी रात में,
चांद की रोशनी बन,
चल सको तो चलो।
यह सफर हैं तुम्हारा
विपरीत स्थितियों को समझ,
चल सको तो चलो।
बेहतर कल की तलाश में,
खुद को निशावर कर,
चल सको तो चलो।
- दीपक राही, आरएसपुरा, जम्मू कश्मीर