सेवा - जया भराड़े बड़ोदकर

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क्या होती है ?

क्या ये अपने ही तो

होते हैं हर जगह

जो हर पल

एक दूसरे की

दिल से, जान से

हर मदद करने के लिए

तैयार रहते हैं।

लेकिन ये पर्याप्त नही

ये तो सेवा

हम सभी करते है

अब की बार

सोचना चाहिए जो

दिल से  प्रकृति की

सेवा भी जरूरी है।

कभी एक दिन

ऐसा भी मनाना है

पेड् लगाए ।

उन्हें हम

हर एक अपनी

जिम्मेदारी समझे

कही पशु पक्षीयों को

आशियाना, पानी पिलाये।

नदी तालाब को

प्रकृति को

माँ पिता की तरह

जो जीवन देते है,

आज उन्हे हम

वैसे ही संभाले ।

स्वच्छता का

अभियान चलाये।

बाते, कविता, गाने,

तो बहुत हुए,

पर अब हम

असली सेवा पर आये।

क्या यही सेवा

मनुज की जो है,

बहुर जरूरी आज,

क्यूँ न हम सब

दिल से अपनाये,

प्रकृति प्रेम मे

डूब के देखे,

और यही जीवन

का उद्देश्य बनाये,

प्रकृति सेवा करके

अपने विश्व को

सुद्धृड बनाये।

शेष बचा कर्तव्य

यही अब अपना के

अपना जीवन सफल

बनाये।

- जया भराडे बडोदकर

नवी मुंबई (महाराष्ट्र)