आज तक नहीं भूला पाया हूँ सुन्दरलाल बहुगुणा का वो स्नेह = कालिका प्रसाद
May 24, 2021, 22:28 IST
| Vivratidarpan.com पर्यावरण संरक्षण के लिये अपना जीवन अर्पित करने वाले सुन्दरलाल बहुगुणा जी आज हमारे बीच नहीं है, उनके द्वारा जो कार्य किये गये वह मिसाल के रुप में हमारे बीच हमेशा ही रहेगें। बहुगुणा जी के साथ वैसे तो अनेक स्मृतियां है, मैं इस संस्मरण में उसकी ही चर्चा मैं कर रहा हूँ जिसकी छाप मेरे जीवन में सबसे ज्यादा पड़ी है। वह मेरे छात्र जीवन के समय की बात है। मैं जब उत्तरकाशी से बी०ए० 1980 में कर रहा था, तब उनका ज्येष्ठ पुत्र राजीव नयन बहुगुणा और मैं सहपाठी थे राजीव मेरा परम मित्र था, उत्तरकाशी उजेली में सर्वोदय का आश्रम है, बहुगुणा जी वहां आते-जाते रहते थे. राजीव भी वही पर रहता था, मैं राजीव के कमरे में बराबर जाता रहता था, वही पर बहुगुणा जी से बातचीत होती रहती थी कभी वे पढाई के बारे में भी चर्चा कर लेते थे, तो मैं सकपका सा जाता था पढ़ाई के नाम पर राजीव और हम लोग सामान्य ही स्तर के छात्र थे। अतः उनसे ज्यादा चर्चा भी नहीं करते थे, पर जिस घटना के बारे में मैं चर्चा कर रहा हूँ , वह है कि 1980 के फरवरी माह की है, जब राजीव और मैं पिक्चर देखने जा रहे थे। फिल्म थी रोटी कपडा और मकान बहुत उत्साह था फिल्म को लेकर हम लोगों के मन में, हम लोग जब बस स्टैंड पर एक बस के सामने रुके और अपने अन्य मित्रों को बताया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है, संयोग से राजीव के पिता स्वर्गीय बहुगुणा जी उसी बस में बैठे थे, जिसके सामने हम लोग बातचीत कर रहे थे, उन्होंने हमारी बातचीत भी सुन ली थी।