ये तेरा पता है = संगीता  श्रीवास्तव 

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वबा ही वबा है, हवा ही हवा है,

अजब सिलसिला है,कोई तो बला है।

उलझ ही गई मौत फिर ज़िंदगी से ,

ये तेरा पता है कि मेरा पता है ।

नज़र से नज़र कैसे कतरा रही है,

कहे क्या हक़ीक़त नज़र आ रही है ।

महक घर की आंगन की अब वो कहां है ,

चहकता वो चन्दा वो सूरज कहां है ।

घुटन से ये किसका कलेजा जला है ,

ये तेरा पता है कि मेरा पता है।

= संगीता श्रीवास्तव 'सुमन' छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश