ये तेरा पता है = संगीता श्रीवास्तव
Jul 8, 2021, 21:55 IST
| वबा ही वबा है, हवा ही हवा है,
अजब सिलसिला है,कोई तो बला है।
उलझ ही गई मौत फिर ज़िंदगी से ,
ये तेरा पता है कि मेरा पता है ।
नज़र से नज़र कैसे कतरा रही है,
कहे क्या हक़ीक़त नज़र आ रही है ।
महक घर की आंगन की अब वो कहां है ,
चहकता वो चन्दा वो सूरज कहां है ।
घुटन से ये किसका कलेजा जला है ,
ये तेरा पता है कि मेरा पता है।
= संगीता श्रीवास्तव 'सुमन' छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश