पर्व लोहड़ी का - स्वर्णलता

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पर्व लोहड़ी का है देखो आ गया।

खुशियों का जैसे खजाना पा गया।।

पंजाब का प्यारा सा ये त्यौहार है।

सब के मन में भर रहा ये प्यार है।

हँसने गाने का समय है आ गया।

खुशियों का जैसे खजाना पा गया।।

सारे मिल के लकड़ियाँ हैं ला रहे।

रात को लोहड़ी को मना रहे।।

ताप देखो सब के मन को भा गया।।

खुशियों का देखो खज़ाना पा गया।

तिल की रयोड़ी मूगफली हैं खा रहे।

ये दिवस हम धूम से मना रहे।

प्रेम प्रीत का ज़माना आ गया।।

खुशियों का जैसे खजाना पा गया।।

पर्व लोहड़ी का है देखो आ गया।

.-  स्वर्णलता सोन, दिल्ली