खुद से बात किया करो = शिप्रा सैनी

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दुनिया में भरा छलावा है, न दुनिया की तुम सुना करो,

मन ही करता सच्ची बातें, कभी खुद से बात किया करो।

अँधी सी एक दौड़ में ,तुम सरपट यूँ  भागा न करो,

कभी बैठ लो छांव में तुम, खुद से दो बातें किया करो।

सुलझ जाएंगे कितनी ही ,अनसुलझे जीवन के सवाल,

अंतर्मन के उबाल की आँच, कभी धीमी तो किया करो।

ख्याल कभी ये जब आए, कि दुनिया में मेरा कोई नहीं,

दिल पर रख कर हाथ , खुद का एहसास किया करो।

आंखों में काजल को सजा, होठों पर लाली को लगा,

आईने को काला टीका, खुद से  लगा दिया करो।

परवाह अपनों की बेशक, हर घड़ी तुम किया करो,

खुद के लिए घड़ी का कांटा ,कभी तो तुम रोक दिया करो।

खूबियां है तुममें इतनी, खुद को भी तो गिनाया करो,

मूंद कर दो पल को आँखे , कभी खुद से बात किया करो।

= शिप्रा सैनी (मौर्या), जमशेदपुर