स्वामी विवेकानंद = निहारिका झा 

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भारत माँ का था वह पूत,

युवा सन्यासी कहलाया।

विश्व बंधुत्व का मूलमंत्र,

उसने मन से अपनाया।

हिंदू धर्म के परचम को,

शिकागो में था लहराया।

हर नारी को माने देवी,

माँ सा मान देता था।

जोश भरा था रक्त में ,

देश प्रेम का जज्बा था।

सेवा भाव भरा था इतना,

सर्वस्व अर्पण कर डाला।

दूजे की सेवा कर कर के,

प्राणों का बलिदान किया।

= निहारिका झा, खैरागढ राज.( )