पंचपुत्र की कहानी = प्रदीप सहारे
पंचपुत्र की पंच कहानी,
उनकी जुबानी देश कहानी ।
बजा रहा एक
सात सुरो की संगीत पेटी,
आवाज आती मधुर मीठी ।
जनता भी लग रही खुश हाल।
सबके जेब सब नंबर का माल ।
चेहरे पर हँसी, होठ हैं लाल ।
फिर अचानक बाबा आये,
बाबा ने खुब बजाई झांझर ।
बदल दिया देश का मंजर ।
सुध बुध खो बैठी जनता,
झांझर के मंजर में ।
आये चुनकर बाबा फिर ,
जनता के दरबार में ।
खुश जनता, खुश देश सारा।
चारों तरफ खुश नजारा,
बाबा की बिना से मधुर धुन ।
"आएंगे तुम्हारे,अच्छे दिन ।"
अच्छे दिन के आस में सारे ।
लिंक करने लगने दस्तावेज सारे।
लिंक हो गये दस्तावेज सारे ।
बाबा अब बजा रहा नगारे ।
नगारे की आवाज, धुम..धडाम..
धुम.. धड़ाम.. धुम.. धुम..
"अच्छे दिन, विकास हो गए गुम।
देशभक्ति का लगा दिया चस्का ।
अब आप ही माय बाप अब हम।
हम लगा रहें हैं मसका ।
मसका लगाते जनता को,
दी बाबा ने जनता को तुतारी।
बजा रही तुतारी जनता सारी।
कभी डीजल पर,पेट्रोल भारी।
कभी दाल पर तेल भारी ।
कभी ये भारी ,कभी वो भारी।
जनता बजा रही तुतारी
बाबा का मन भी होता भारी ।
भारी मन की, भारी कहानी ।
" मन की बात में सुनते जुबानी"
यही हैं पंचपुत्र की पंच कहानी,
उनकी जुबानी, देश की कहानी ।
= दीप सहारे ,नागपुर (महाराष्ट्र)