गीत - दीपक राही

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रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

मिले थे कभी अनजाने में,

वो बात ना हुई फिर कभी,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें...2

वह शाम भी, तो मेहरबां थी,

फिर भी हम मिले इस तरह,

मिल के भी ना मिले हो कहीं,

वो बात आज यकीन बन गई,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

संभाला था खुद को भी मैंने,

फिर भी यह रात कटती नहीं,

तुम्हारे ना आने की ख़बर से,

वो प्यास कभी मिटती नहीं,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

इक तुम ही तो हो, सब कुछ मेरा,

कभी ना छूटे साथ तेरा,

चाहे कर देना बदनाम मुझे,

इस प्यार को कोई अंजाम देना,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

- दीपक राही, आरएसपुरा, जम्मू-कश्मीर

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

मिले थे कभी अनजाने में,

वो बात ना हुई फिर कभी,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें...2

वह शाम भी, तो मेहरबां थी,

फिर भी हम मिले इस तरह,

मिल के भी ना मिले हो कहीं,

वो बात आज यकीन बन गई,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

संभाला था खुद को भी मैंने,

फिर भी यह रात कटती नहीं,

तुम्हारे ना आने की ख़बर से,

वो प्यास कभी मिटती नहीं,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

इक तुम ही तो हो, सब कुछ मेरा,

कभी ना छूटे साथ तेरा,

चाहे कर देना बदनाम मुझे,

इस प्यार को कोई अंजाम देना,

रहबर मुझे कहते हो तुम,

भूलूंगा मैं कैसे तुम्हें....2

- दीपक राही, आरएसपुरा, जम्मू-कश्मीर