गीत (अवधी) - डॉ0 अशोक 'गुलशन'
Jul 21, 2021, 23:07 IST
| पिया मेंहदी कै पतिया झुरान,
तोहरे सुधिया मा।
फूल सेजिया कै सब कुम्हलान,
तोहरे सुधिया मा।
दिन-दिन भर हम रोई-गाई,
जागि-जागि कै रैन बिताई।
बीच अँगुरी कै बिछुआ हेरान,
तोहरे सुधिया मा।
छपरस टपकै टप-टप पानी,
बिन तोहरे बरबाद किसानी।
बचा ऊपर से खेतेक लगान,
तोहरे सुधिया मा।
धन-पशु कै है चारा नाहीं,
पइसा बिना गुजारा नाहीं।
गाय फिर से है बछिया बियान,
तोहरे सुधिया मा।
रोज-रोज बरदेखुआ आवैं,
बढ़ि-चढ़ि कै सब दाम लगावैं।
होइगै बड़का लड़िकवा जवान,
तोहरे सुधिया मा।
- डॉ0 अशोक 'गुलशन'
उत्तरी क़ानूनगोपुरा, बहराइच (उत्तर प्रदेश)