स्नेह बंधन - डॉ.रश्मि दुबे
Aug 21, 2021, 23:18 IST
| लो आ गया सावन की सबको बांध दो स्नेह बंधन,
माथे तिलक लगाओ और करो वीर का नेह बंधन।
प्रीति यूं ही फलती रहे सिर माथ पर लगा हो चंदन,
न कोई बहना आज तड़पे न मन करे उसका क्रंदन।
नेह के धागे से बांधें अपने रिश्तों को सभी ही,
जा रहे हैं खोते सारे स्नेह बंधन अहमियत कभी।
रह न जाए ख्वाहिश कोई तू बोल दे बहना अभी,,
कि मैं तेरी रक्षा के लिए हाजिर हूं तू बोले जभी।
है पुरातन रीति थी जो ये भाई बहन का प्यार है,
यह सूत्र अलौकिक है सदा ही और नेह का भंडार है।
भाई बहन पर बहन अनुज पर ही सदा बलिहार है,
लेकर रक्षा सूत्र बांधें मिल सभी ऐसा यह त्यौहार है।
- डॉ.रश्मि दुबे, गाजियाबाद (उ० प्र०)