श्री राम यज्ञ - (53वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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यह शक्ति समीक्षा का पल है ।

यह भक्ति परीक्षा का फल है ।।

राघव की आंखों में जल है ।

संकट में राघव का कल है ।।1

आसन वो छोड़ नहीं सकते ।

रुख अपना मोड़ नहीं सकते ।।

भक्ती में अड़े हुए राघव ।

संशय में पड़े हुए राघव ।।2

माता के वचन याद आये ।

कौशल्या कथन याद आये ।।

आये बचपन के संस्मरण ।

निर्णय का अंतिम संस्करण ।।3

कहती थी माँ राजीव नयन ।

अपने नैनों का किया चयन ।।

आँखों में निश्चय झलक रहा।

रघुवंशी परिचय झलक रहा ।।4

तूणीर पास है राघव के ।

है तीर हाथ में राघव के ।।

निर्णय को भांप गए ब्रह्मा ।

निर्णय से कांप गयी अम्बा ।।5

बढ रहे हाथ अब मोचन को ।

करने को नैन विमोचन को ।।

बढ़ रहे हाथ धीरे धीरे ।

देवी भी आ धमकी तीरे ।। 6

जब एक आँख पर नोंक रखी ।

राघव निश्चय की छौंक दिखी ।।

आलौकिक एक प्रकाश हुआ ।

राघव को कुछ अहसास हुआ ।।7

अब शक्ति रूप साकार किया ।

ज्योतिर्मय हो आकार लिया ।।

ले लिया बाण अब हाथों से ।

छू लिए प्राण अब हाथों से ।।8

बोली माता सुन रघुनंदन ।

स्वीकार किया तेरा वंदन ।।

अब युद्ध करो राघव निर्भय ।

रण में होगी सच की जय जय ।।9

अब तेरी जीत सुनिश्चित है ।

रावण का मरना निश्चित है ।।

जब भेद विभीषण बतलाये ।

रावण का अंतिम क्षण आये ।।10

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून