श्री राम यज्ञ - (52वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर
है शक्ति भवानी की समिधा ।
राघ की दूर हुई दुविधा ।।
कुछ रोज छोड़कर समराधन ।
करते देवी का आराधन ।।1
आदेश दिया बजरंगी को ।
अपने कष्टों के संगी को ।।
दो मुझे एक सौ आठ कमल ।
अंतस को करना शक्ति सबल ।।2
अब काम नहीं होगा दूजा ।
होगी अब देवी की पूजा ।।
कोमल से होवें इंदीवर ।
सारे हो शुद्ध पुष्प सुंदर ।।3
हनुमत ले आये इंदीवर ।
हो ध्यान मग्न बैठे रघुवर ।।
चातक तंद्रा में बैठ गए ।
त्राटक मुद्रा में बैठ गए ।।4
संताप भक्त का जारी है ।
आलाप भक्त का जारी है ।।
घनघोर तपस्या राघव की ।
पुरजोर समस्या राघव की ।।5
यूँ पांच दिवस बीते तप में ।
चंडी के मंत्रों के जप में ।।
छठवे दिन लीन हुए राघव ।
तप के आधीन हुए राघव ।।6
भृकुटी को तान गढ़ाये हैं ।
त्रिकुटी पे ध्यान लगाये हैं ।।
स्वर नाद कांपता है थर-थर ।
अर्पित करते जब इंदीवर ।।7
मंत्रों का जाप सघन जारी ।
अपना अलाप लगन जारी ।।
दो दिवस हुए उपवासन पर ।
निस्पंद राम अब आसान पर ।।8
अब दिवस आठवे को छिपकर ।
आयी देवी शिव की सहचर ।।
ले गयी उठाकर इंदीवर ।
मुद्रा में लीन रहे रघुवर ।।9
जब हाथ बढ़ाये नारायण ।
करने को अंबुज का अर्पण ।।
अब संशय ने घेरे रघुवर ।
जब लुप्त हुए दो इंदीवर ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून
है शक्ति भवानी की समिधा ।
राघ की दूर हुई दुविधा ।।
कुछ रोज छोड़कर समराधन ।
करते देवी का आराधन ।।1
आदेश दिया बजरंगी को ।
अपने कष्टों के संगी को ।।
दो मुझे एक सौ आठ कमल ।
अंतस को करना शक्ति सबल ।।2
अब काम नहीं होगा दूजा ।
होगी अब देवी की पूजा ।।
कोमल से होवें इंदीवर ।
सारे हो शुद्ध पुष्प सुंदर ।।3
हनुमत ले आये इंदीवर ।
हो ध्यान मग्न बैठे रघुवर ।।
चातक तंद्रा में बैठ गए ।
त्राटक मुद्रा में बैठ गए ।।4
संताप भक्त का जारी है ।
आलाप भक्त का जारी है ।।
घनघोर तपस्या राघव की ।
पुरजोर समस्या राघव की ।।5
यूँ पांच दिवस बीते तप में ।
चंडी के मंत्रों के जप में ।।
छठवे दिन लीन हुए राघव ।
तप के आधीन हुए राघव ।।6
भृकुटी को तान गढ़ाये हैं ।
त्रिकुटी पे ध्यान लगाये हैं ।।
स्वर नाद कांपता है थर-थर ।
अर्पित करते जब इंदीवर ।।7
मंत्रों का जाप सघन जारी ।
अपना अलाप लगन जारी ।।
दो दिवस हुए उपवासन पर ।
निस्पंद राम अब आसान पर ।।8
अब दिवस आठवे को छिपकर ।
आयी देवी शिव की सहचर ।।
ले गयी उठाकर इंदीवर ।
मुद्रा में लीन रहे रघुवर ।।9
जब हाथ बढ़ाये नारायण ।
करने को अंबुज का अर्पण ।।
अब संशय ने घेरे रघुवर ।
जब लुप्त हुए दो इंदीवर ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून
है शक्ति भवानी की समिधा ।
राघ की दूर हुई दुविधा ।।
कुछ रोज छोड़कर समराधन ।
करते देवी का आराधन ।।1
आदेश दिया बजरंगी को ।
अपने कष्टों के संगी को ।।
दो मुझे एक सौ आठ कमल ।
अंतस को करना शक्ति सबल ।।2
अब काम नहीं होगा दूजा ।
होगी अब देवी की पूजा ।।
कोमल से होवें इंदीवर ।
सारे हो शुद्ध पुष्प सुंदर ।।3
हनुमत ले आये इंदीवर ।
हो ध्यान मग्न बैठे रघुवर ।।
चातक तंद्रा में बैठ गए ।
त्राटक मुद्रा में बैठ गए ।।4
संताप भक्त का जारी है ।
आलाप भक्त का जारी है ।।
घनघोर तपस्या राघव की ।
पुरजोर समस्या राघव की ।।5
यूँ पांच दिवस बीते तप में ।
चंडी के मंत्रों के जप में ।।
छठवे दिन लीन हुए राघव ।
तप के आधीन हुए राघव ।।6
भृकुटी को तान गढ़ाये हैं ।
त्रिकुटी पे ध्यान लगाये हैं ।।
स्वर नाद कांपता है थर-थर ।
अर्पित करते जब इंदीवर ।।7
मंत्रों का जाप सघन जारी ।
अपना अलाप लगन जारी ।।
दो दिवस हुए उपवासन पर ।
निस्पंद राम अब आसान पर ।।8
अब दिवस आठवे को छिपकर ।
आयी देवी शिव की सहचर ।।
ले गयी उठाकर इंदीवर ।
मुद्रा में लीन रहे रघुवर ।।9
जब हाथ बढ़ाये नारायण ।
करने को अंबुज का अर्पण ।।
अब संशय ने घेरे रघुवर ।
जब लुप्त हुए दो इंदीवर ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून