श्री राम यज्ञ - (50वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर , देहरादून
इंदीवर के आसान वाली ।
जय दुर्गा जय माता काली ।।
आगे की यह राम कहानी ।
रावण को है सिद्ध भवानी ।।1
चिड़ा रहा है मुख खलनायक ।
चिंता ग्रस्त दिखें जग नायक ।।
उद्वेलित लगते अब रघुवर ।
चिंतित दिखते हैं करमाकर ।।2
हरिमुख देख विभीषण बोले ।
अंतस के दरवाजे खोले ।।
नैराश्य भाव छोड़ो राघव ।
चिंतन का रुख मोड़ो राघव ।।3
हैं धनुष वही तूणीर वही ।
हैं अस्त्र वही हैं तीर वही ।।
हनुमत जैसे बलवीर वही ।
लक्ष्मण जैसे रणवीर वही ।।4
यूथपती अंगद से योद्धा ।
महाबली सुग्रीव पुरोधा ।।
महावीर से युद्ध सहायक ।
जामवंत से सेना नायक ।।5
हिम्मत क्यों हारे रघुराई ।
जन जन के प्यारे रघुराई ।।
पड़ी कैद में माता सीता ।
अभी युद्ध क्या हमने जीता ।।6
प्राण वही है स्वास वही है ।
धरा वही आकाश वही है ।।
सेना में विश्वास वही है ।
राम वही संन्यास वही है ।।7
राम विभीषण से यह बोले ।
वाणी खाती है हिचकोले ।।
खल वानर का युद्ध नहीं ये ।
नर नाहर का युद्ध नहीं ये ।।8
शक्ति प्रवाहित है रावण में ।
भक्ति समाहित है रावण में ।।
उसके साथ खड़ी है काली ।
हँस हँस मार रही है ताली ।।9
जामवंत बोले सुन राघव ।
चिंता में मन होता लाघव ।।
कारण में ही छिपा निवारण ।
करो शक्ति को तुम भी धारण ।।10
- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून