श्री राम यज्ञ - (46वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर
Sep 28, 2021, 23:44 IST
| जय जय जय आलेख भवानी ।
चली अंत की ओर कहानी ।।
रावण सोच सोच पछताया ।
अहिरावण भी काम न आया ।।1
रावण करता अब तैयारी ।
बाकी कौन बचा हितकारी ।।
जीवन या मृत्यु वरण होगा ।
जीवन का अंत चरण होगा ।।2
रथ में अब घोड़े जोड़ दिए ।
रण भू को घोड़े मोड़ दिए ।।
सारे घातक हथियार रखे ।
तूणीर धनुष तलवार रखे ।।3
नियती ने खूब छला रावण ।
रण भू की ओर चला रावण ।।
खुद बीज नाश का बो बैठा ।
सारे कुनबे को खो बैठा ।।4
जिसने देवों को जीता है ।
जो आग आब सम पीता है ।।
अपने पुरखों का ध्यान किया ।
रण चंडी का आह्वान किया ।।5
लड़ने आया रावण खल है।
वानर सेना में हलचल है ।।
अब एक ओर वानर दल है ।
दूजी में द्राविड़ खल बल है ।।6
अब प्रश्न राम की ओर खड़ा।
रावण रथ पर पुरजोर खड़ा ।।
मुद्दा देवों में गरमाया ।
रावण रथ पर लड़ने आया ।।7
नारायण युद्ध करें कैसे ।
रावण के प्राण हरें कैसे ।।
प्रस्ताव इंद्र को भिजवाया ।
रथ देव लोक का तब आया ।।8
हैं श्वेत वर्ण के सब घोड़े ।
नायाब किस्म सब जोड़े ।।
हरि का निर्देश समझते हैं ।
हरि का आदेश समझते हैं ।।9
रथ एक दूसरे के सम्मुख ।
पथ एक दूसरे के सम्मुख ।।
दोनों ही बड़े खिलाड़ी हैं ।
दोनों ही खड़े अगाड़ी हैं ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून