श्री राम यज्ञ - (42वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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आराधन शक्ति भवानी का ।
अभिवादन शक्ति भवानी का ।
अब मेघनाद का अंत हुआ ।
साक्षी आकाश अनंत हुआ ।।1

देही का भेदन कर डाला ।
शोणित का बह निकला नाला ।।
सर उड़ा शीश लेकर सर सर ।
सर मुड़ा शीश लेकर फर फर ।।2

है सत्य छुपा अभिकरणों में ।
पहुँचाया हरि के चरणों में ।।
संशय शेष नहीं शंका में ।
हाहाकार मचा लंका में ।।3

समाचार रावण ने पाया ।
थर थर कांप गयी खल काया ।।
नाद मेघ का शांत हुआ है ।
रूप बदल प्रशांत हुआ है ।।4

खल सपूत का अंत हुआ है ।
अमर सुलोचन कंत हुआ है ।।
ध्वजा गिरी रण के प्रांगण में ।
भुजा गिरी घर के आंगन में ।।5

भुजा सुलोचन ने पहचानी ।
पतिव्रता है जानी मानी ।।
ससुर दैत्य से किया निवेदन ।
बतलाया अपना संवेदन ।।6

रावण उसको शांत कराया ।
शीश कहाँ उसको बतलाया ।।
शीश राम की शरणागत है ।
नारायण के चरणागत है ।।7

राम शिविर का पता बताया ।
सेवक साथ शिविर भिजवाया ।
वानर सेना ने रथ रोका ।
शिविर ओर जाने से टोका ।।8

करे प्रश्न राघव हितकारी ।
आज परीक्षा होगी न्यारी ।।
यदि तुम पतिव्रता हो नारी ।
शीश मेघ मारे किलकारी ।।9

ज्यों ही शीश सामने आया ।
शीश मेघ का हँसता पाया ।।
शीश उछल गोदी में आया ।
धन्यवाद हरि को पहुँचाया ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून