श्री राम यज्ञ - (41वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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जय जय जय माँ शक्ति भवानी ।

लिखवा दो माँ राम कहानी ।।

मिली सूचना जब रावण को ।

स्वास्थ लाभ पूरा लक्ष्मण को ।।1

इंद्र जीत को तुरंत बुलाया ।

संगर का आदेश थमाया ।।

परामर्श रावण का दूजा ।

कर लो कुलदेवी की पूजा ।।2

शक्ति पीठ पर यज्ञ कराओ ।

एक जानवर बली चढ़ाओ ।।

मात निकुंबल करो याचना ।

युद्ध जीत की करो प्रार्थना ।।2

गुप्त सूचना मिली विभीषण ।

बतलाया राघव को कारण ।।

यज्ञ रोकना होगा इस क्षण ।

तभी जीत पायेंगे यह रण ।।3

भेष बदलकर गए विभीषण ।

साथ गए हनुमत व लक्ष्मण ।।

खल समूह से गुफा घिरी है ।

चक्र व्यूह से गुफा घिरी है ।।4

हनुमत ने यह व्यूह गिराया ।

लक्ष्मण को प्रवेश कराया ।।

किया यज्ञ को जाकर खंडित ।

साथ विभीषण ज्ञानी पंडित ।।5

क्रोध बहुत आया द्रावङ को ।

ललकारा उसने लक्ष्मण को ।।

पुनः युद्ध दोनो में भीषण ।

साक्ष्य बने हैं स्वयं विभीषण ।।6

कोई शस्त्र काम ना आवे ।

इंद्रजीत जब बाण चलावे ।।

लक्ष्मण ज्यों ज्यों तीर चलावें ।

कंपन सागर में उठ जावें ।।7

याद ब्रह्म की वाणी आयी ।

पूरी समझ कहानी आयी ।।

चौदह वर्ष जगे जो योद्धा ।

मार सकेगा वही पुरोधा ।।8

प्रक्षेपात्र काम ना आये ।

इंद्रजीत इतना घबराये ।।

बाणों से छलनी है छाती ।

दीखे मौत सामने आती ।।9

चिंगारी निकले बाणों से ।

खेल रही खल के प्राणों से ।।

आज्ञाकारी बाण चलाया ।

शीश काट उस पर बैठाया ।।10

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून