श्री राम यज्ञ- (38वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर
मात शारदा अनुमति दे दो ।
राम कथा पर सहमति दे दो ।।
कह पाऊँ मैं सत्य सनातन ।
लिख पाऊँ मैं कथ्य सनातन ।।1
प्रश्न जटिल ये है शंका का ।
वो है राज वैद्य लंका का ।।
भेष बदलकर हनुमत धाये ।
वैद्य सुषेन बुला कर लाये ।।2
वैद्य राम की प्राथ न माना ।
राज वैद्य का धर्म बखाना ।।
राघव ने उसको समझाया ।
धर्म चिकित्सक श्रेष्ठ बताया ।।3
राज योग से धर्म बड़ा है ।
ध्यान योग से कर्म बड़ा है ।।
भेद धर्म का ये बतलाया ।
तब उपचार शुरू हो पाया ।।4
नाड़ी देख वैद्य यह बोला ।
प्राण बचे है मासा तोला ।।
जड़ी जगत में एक अनूठी ।
कहते हैं संजीवनि बूटी ।।5
लेकिन लक्ष्मण किस्मत खोटी ।
मिलती जड़ी हिमालय चोटी ।।
यदि यह जड़ी वहां से आये ।
जीवन लक्ष्मण का बच जाये ।।6
औषधि रात रात में आवे ।
तभी पूर्ण ये असर दिखावे ।।
वैद्य सुषेन उपाय बतलावें।
प्राण लखन के यूँ बच पावें ।।7
कैसा जटिल उपाय सुझाये ।
राघव जी सुनकर घबराये ।।
संकट मोचक सम्मुख आये ।
तुरत राम की धीर बँधाये ।।8
बोले पवन पूत कहलाऊँ ।
औषधि रात रात में लाऊँ ।।
लखन वीर के प्राण बचाऊँ ।
तब ही अपना मुख दिखलाऊँ ।।9
आज्ञा लेकर उड़े गुसांई ।
संकट नें उनके रघुराई ।।
महावीर विक्रम बजरंगी ।
राम लला के पक्के संगी ।।10
-जसवीर सिंह हलधर , देहरादून