श्री राम यज्ञ - (37वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर 

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दे शक्ति भवानी वो मुझको ।

दे भक्ति भवानी वो मुझको ।।

यह राम कथानक लिख पाऊँ ।

निर्भय हो कर कविता गाऊँ ।।1

मायावी दिखा रहा है छल ।

सेना में घुस आया है खल ।।

घातक हथियार लिया उसने ।

धोखे से वार किया उसने ।।2

ऐसा व्यवहार किया उसने ।

यूँ गुप्त प्रहार किया उसने ।।

वो शस्त्र अनौखा घौंप गया ।

पीछे से धोखा घौंप गया ।।3

हलवाई चला गया करछी ।

लक्ष्मण को मार गया बरछी ।।

छाती के पार गयी बरछी ।

कर अत्याचार गयी बरछी ।।4

 

गिर पड़े लखन अब अवनी पर ।

घिर गए मेघ की करनी पर ।।

होने वाले बंदी लक्ष्मण ।

बजरंगी भांप गए वो क्षण ।।5

लक्ष्मण को उठा नहीं पाया ।

तब शेषनाग जकड़े काया ।।

हनुमत उसके सम्मुख आये ।

फिर मेघनाद से टकराये ।।6

लक्ष्मण को ले आए हनुमत ।

शोकाकुल है वानर जनमत ।।

कर घातक वार गया दानव ।

धोखे से मार गया दानव ।।7

यह देख पसीना छूट गया ।

सेना का साहस टूट गया ।।

रघुराई बिलख-बिलख रोये ।

वानर सेना आपा खोये ।।8

चिंता में राघव अत्याधिक ।

कैसे उपचार मिले वैदिक ।।

हो सिद्ध वैद्य आयुर्वेदिक ।

यह प्रश्न पूछते सनकादिक ।।9

अब समाधान कैसे खोजें ।

दु:ख का निदान कैसे खोजें ।।

नाम विभीषण एक सुझाये ।

वैद्य सुषेन नाम बतलाये ।।10

 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून