श्री राम यज्ञ - (35वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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मात भवानी का वंदन है ।

राम कथा टीका चंदन है ।।

लंका में घर घर क्रंदन है ।

कुंभकरण के नाम रुदन है ।।1

मेघनाद मिलने को आया ।

राजा रावण रोता पाया ।।

मारा गया युद्ध में चच्चा ।

महावीर योद्धा था सच्चा ।।2

मेघनाद को पास बुलाया ।

रावण ने उसको बतलाया ।।

मेघनाद कर ले तैयारी ।

आज युद्ध में तेरी बारी ।।3

रावण ने आदेश सुनाया ।

मेघनाद अब लड़ने आया ।।

कुलदेवी का आह्वान किया ।

समरांगण को प्रस्थान किया ।।4

वरदान भवानी से मांगे ।

हाथी पर अस्त्र शस्त्र टांगे ।।

लड़ने को आया हाथी पर ।

है लोह कवच भी छाती पर ।।5

मेघों सा गरज रहा योद्धा ।

दामिनि सा लरज रहा योद्धा ।।

रण प्रांगण में ज्यों ही आया ।

दिखलाता बलशाली काया ।।6

आते ही भीषण वार किये ।

लाखों सैनिक संघार किये ।।

मायावी करतब दिखलाये ।

वानर सैनिक अब घबराये ।।7

लक्ष्मण उसके सम्मुख आये ।

अब मेघनाद से टकराये ।।

जब बाण छोड़ते हैं लक्ष्मण ।

धरती में भी होते कंपन ।।8

बाणों के जाल बिछा डाले ।

प्राणों पे काल बिछा डाले ।।

तीरों से तीर निकलते हैं ।

छाती को चीर निकलते हैं ।।9

मायावी करतब दिखलाता ।

हमला करता फिर उड़ जाता ।।

जब बाण छोड़ते हैं लक्ष्मण ।

दामिनि सी चमके है क्षण क्षण ।।10

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून (उत्तराखंड)