श्री राम यज्ञ - (29वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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स्वर की देवी ने स्वर बदला ।

लिखवाती रौद्र छंद कमला ।।

भीषण है दोनों का हमला ।

लिखने वाला है जट पगला ।।1

वर्षा होती थी वाणों की ।

बाजी लगी हुई प्राणों की ।।

एक तीर लक्ष्मण को लागा ।

घटना देख विभीषण भागा ।।2

बजरंगी को तुरत बताये ।

पवन पूत लड़ने को आये ।।

हनुमत स्वरूप विस्तार किया ।

रावण पर सीधा वार किया ।।3

खल सेना का संघार करे ।

घातक शस्त्रों से वार करे ।।

हनुमत घातक प्रहार करें।

रावण को यूँ लाचार करें ।।4

रावण के अस्त्र निराले है ।

कुछ दैविक शस्त्र निराले है ।।

दोनों योद्धा हैं बलशाली ।

दोनों को आंक रही काली ।।5

राघव ने पूरा भांप लिया ।

घटना को पूरा नाप लिया ।।

यह देख रहे हैं नारायण ।

लड़ने आया है खुद रावण ।।6

हरिहर ने अपना पथ मोड़ा ।

रावण की ओर मुड़े थोड़ा ।।

हटने को बोले हनुमत से ।

वानर कुलभूषण दलपत से ।।7

अब नारायण सम्मुख आये ।

रथ के घोड़े अब घबराये ।।

रण चंडी का आह्वान किया ।

अपने पुरखों का ध्यान किया ।।8

कौदण्ड उठा हुंकार भरी ।

प्रत्यंच खींच टंकार करी ।।

अब सावधान हो जा रावण ।

कर शुद्ध युद्ध मत दे भाषण ।।9

अब एक ओर है अपहर्ता ।

दूजा सृष्टी का अभिकर्ता ।।

दोनों योद्धा हैं बलशाली ।

दोनों की आँखों में लाली ।।10

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून