श्री राम यज्ञ - (27वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर
मात शारदा कंठ निवासी ।
कर दो छंदों का अभ्यासी ।।
राम कथा में आयी लाली ।
रण में नाच रही है काली ।।1
शोकाकुल है कुनबा सारा ।
खर का पूत मरा बेचारा ।।
माएँ पीट रहीं है छाती ।
लंका खोज रही है थाती ।।2
दारुक आया है लड़ने को ।
वानर सेना से भिड़ने को ।।
देवान्तक है उसका संगी।
चमक रही तलवारें नंगी ।।3
त्रिशरा और अकम्पन आये ।
मायावी करतब दिखलाये ।।
कुम्भ दैत्य भी लड़ने आया ।
घड़ा सरीखी जिसकी काया ।।4
लक्ष्मण दारुक शीश उतारा ।
हनुमत ने देवान्तक मारा ।।
त्रिशरा मार दिया अंगद ने ।
खल संघार किया अंगद ने ।। 5
मार अकम्पन किया किनारे ।
बजरंगी बलवान हमारे ।।
कुम्भ दैत्य सुग्रीव ने मारा ।
रावण कुनबे को ललकारा ।।6
एक दैत्य अतिकाय अनौखा ।
बार बार देता है धोखा ।।
रूप बदल के लड़ता दानव ।
मान रहा लक्ष्मण को मानव ।।7
वायु देव ने युक्ति बताई ।
पवन पूत ने करी सहाई।।
लक्ष्मण हनुमत के कंधों पर ।
किया युद्ध धरती से उड़कर ।।8
मार दैत्य धरती पर डाला ।
लखन लाल का धनुष निराला ।।
मार दिया अतिकाय उदंगी ।
लक्ष्मण साथ रहे बजरंगी ।।9
दूत सूचना लेकर आया ।
समाचार रावण ने पाया ।।
योद्धाओं का हुआ निधन है ।
शोकाकुल सम्पूर्ण सदन है ।।10
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून