श्री राम वंदना - जसवीर सिंह हलधर

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वंदन राम नाम रघुवर का ।

पावक पवन चंद्र दिनकर का ।।

राम नाम की आभा निरुपम ।

चारो भ्रात जोट है अनुपम ।।1

अक्षर दोनो मधुर मनोहर ।

माँ कौशल्या धन्य पयोधर ।।

वाल्मीकि से मिली धरोहर ।

रामायण है मोक्ष सरोवर ।।2

राम स्वाद सम सोम सुधा के ।

भाग्य खुले अपनी वसुधा के ।।

तुलसी राम नाम अनुरागी ।

मुझको भी उसकी धुन लागी ।।3

व्यापक एक ब्रह्म अविनाशी ।

जड़ चेतन के राम निवासी ।।

ऋषि मुनियों ने किया खुलासा ।

राम सभ्यता की परिभाषा ।।4

भानु प्रकाश ज्ञान अविनाशी ।

राम प्रताप ध्यान का वासी ।।

राम नाम हर लोक विधाता ।

दीन हीन जगती के त्राता ।।5

कुकवि को सुकवि कर देते ।

संत समान ज्ञान भर देते ।।

तुलसी राम नाम पहचाने ।

राम चरित की कथा बखाने ।।6

निर्गुण ने आकार लिया था ।

धरती पर अवतार लिया था ।।

भूप स्वप्न साकार हुआ था ।

दशरथ का उद्धार हुआ था ।।7

नारायण का खेल अनौखा ।

सत्य कथ्य मत मानो धोखा ।।

सरयू रंग चढ़ा अब चोखा ।

नगर अयोध्या राम झरोखा ।।8

नगर अयोध्या धाम उसी का ।

भक्त वत्सला नाम उसी का ।।

कारण में परिणाम उसी का ।

जिसने खोजा राम उसी का ।।9

सरल तरल घन छंद हथोड़े ।

ज्ञानवान पढ़ नाक सिकोड़े ।।

अगुन सगुन के राम सुराही ।

हलधर हरि के खास सिपाही ।।10

- जसवीर सिंह हलधर देहरादून