श्री राम कथा - (15वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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हे माँ शब्दाक्षर की देवी ।

स्वर साधक कविवर की देवी ।।

राम कथा पूरी करबा दो ।

गागर में सागर भरबा दो ।।1

शबरी ने रास्ता दिखलाया ।

हनुमत जैसा योद्धा पाया ।।

भक्त हुए राघव के हनुमत ।

था प्रसन्न कपिस कुल जनमत ।।2

ऐसा सुघड़ योग अब आया ।

हरि ने सुग्रीव मित्र बनाया ।।

जामवंत से भेट करायी ।।

तब आगे की युक्ति सुझायी ।।3

सारे राज राम से खोले ।

जामवंत हनुमत जब बोले ।।

कपि सुग्रीव के निष्कासन का ।

समाधान हो निर्वासन का ।।

भार्या भ्रात बालि ने छीनी ।

धर्म अवज्ञा यूँ कर दीनी ।।4

वानर बालि बहुत बलशाली ।

सिद्धी उस पर बहुत निराली ।।

जो भी वीर सामने आये ।

आधा बल उसका आ जाये ।।5

रावण भी उससे डरता है।

सम्मुख वो पानी भरता है ।।

पत्थर है वो तरल नहीं है ।

लड़ना इतना सरल नहीं है ।।6

पुरुषोत्तम ने युक्ति सुझाई ।

एकल युद्ध नीति अपनाई ।।

किष्किन्धा तक गयी चुनौती ।

वीर बालि को लगी पनौती ।।7

युद्ध हुआ दोनो में भारी ।

उठा पटक थी बारी बारी ।।

दिखें एक से दोनों भाई ।

भ्रमित हुए स्वयं रघुराई ।।8

जान बचाके सुग्रीव भागा ।

मरते मरते बचा अभागा ।।

पुनः राम ने युक्ति सुझाई ।

सुग्रीव गर माला पहनाई ।।9

भीषण युद्ध हुआ दोनों में ।

कंम्पन फिर गिरि के कोनों में ।।

हरि ने छुपकर वाण चलाया ।

वीर बालि को मार गिराया ।।10

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून