श्री राम कथा (13वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर 

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आशीर्वाद दे दो माता ।

माँ बेटे का पक्का नाता ।।

छोटा सा कलम सिपाही हूँ ।

साहित्य सदन का राही हूँ ।।1

पूरी अभिलाषा करवा दे ।

ये राम कथा तू लिखवा दे ।।

प्रभु ने पक्षी गोद उठाया ।

अपने हाथों से सहलाया ।।2

जब तक आग वायु औ पानी ।

अमर रहेगी गरुड़ कहानी ।।

पित्र मान मुख अगनी दीनी ।

पक्षी को श्रद्धांजलि दीनी ।।3

पित्र मानकर करी विदाई ।

दक्षिण दिशा बढ़े रघुराई ।।

खर कबंध से हुआ सामना ।

राक्षस पूरी करी कामना ।।4

उसने कहा सुनो वनवासी ।

इंतजार में शबरी दासी ।।

दसकों से वो भूखी प्यासी ।

राघव दर्शन की अभिलाषी ।।5

आगे भिलनी कुटिया आयी ।

शबरी प्रतीक्षा में पायी ।।

स्वागत बहुत किया शबरी ने ।

चमत्कार देखा नगरी ने ।।6

था विश्वास उसे अपने पर ।

इसी राह आएंगे रघुवर ।।

बेर रखे शबरी ने चखकर ।

इंतजार में बैठी तत्पर ।।7

झूंठे बेर राम ने खाये ।

लक्ष्मण देख-देख शर्माये ।।

सीख राम दीनी लक्ष्मण को ।

भक्त प्रिय अति नारायण को ।। 8

अनुज लखन को पाठ पढ़ाया ।

हरि ने हँसकर भोग लगाया ।।

शबरी अब वैकुंठ पधारी ।

राम नाम सबका हितकारी ।।9

शबरी हनुमत पता बताया ।

हरि से हरि का मेल कराया ।।

खोज सिया की आगे जारी ।

राम सुग्रीव हुई अब यारी ।।10

- जसवीर सिंह हलधर , देहरादून