श्री राम कथा (11वीं समिधा) - जसवीर सिंह हलधर

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पहली पंक्ति शारदा वंदन ।

दूजी गुरुओं का अभिनंदन ।।

सप्त ऋषी मंडल की छाया ।

राम कथानक मन में आया ।।1

मायावी मृग की चतुराई ।

सीता जी के मन को भाई ।।

मुझे नाथ ये मृग दो जिंदा ।

पंचवटी का हो बासिन्दा ।।2

राम लला मृग पीछे दौड़े ।

मृग भागा ज्यों भागें घोड़े ।।

ज्यों ज्यों हरि ने दौड़ लगाई ।

सारँग दिखा रहा चतुराई ।।3

राघव ने ज्यों गर्दन दावी ।

हिरन नहीं वो था मायावी ।।

हे लक्ष्मण हे लक्ष्मण बोला ।

राघव खून क्रोध में खौला ।।4

मारा रावण के मामा को ।

खर कुनबे के खल कामा को ।।

मारिच दिखा गया चतुराई ।

नाद सुना सीता घबराई ।।5

लक्ष्मण को आवाज लगाई ।

संकट में आये रघुराई ।।

तुरत मदद को जंगल जायो ।

सच्चाई का पता लगाओ ।।6

रेखा खींच लखन जी भागे ।

बुरे दिवस सीता के जागे ।।

भेष बदलकर रावण आया ।

संन्यासी का रूप बनाया ।।7

भिक्षा को आवाज लगाई ।

माता भिक्षा ले के आई ।।

सीता जी रेखा के अंदर ।

रक्षा कवच कुटी का परिसर।।8

भीख न लूँ परिधी के अंदर ।

ब्राह्मण हूँ पूरा दस कंदर ।।

रेखा लांघ सिया जब आई ।

जबरन अपहृत कर ली माई ।।9

कामयाव हो गया शिकारी ।

राजा रावण बना भिखारी ।।

बुरा वक्त सीता का आया ।

पुष्पक में उनको बैठाया ।।10

- जसवीर सिंह हलधर,देहरादून