शालिनी एक परिचय = शालिनी सिंह 

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शालिनी एक परिचय = शालिनी सिंह

मै शालिनी ! कर्तव्य के पथ की अनुगामिनी हूं।
बलरामपुर जिले के महुआ गांव की निवासिनी हूं।।

स्वं श्री विजय प्रताप सिंह जी से निष्पन्न।
माता श्रीमती मालती सिंह की दुलारी हूं।।

मैंने राम नगरी अयोध्या में जन्म और शिक्षा पाई है।
मैंने एम०ए, बी०एड् और टेट तक की डिग्री पाई है।।

मैं अपने गुरू और माता-पिता के प्यार की बंदिनी हूं।
कुछ गुण व अवगुणों के मिश्रित मिट्टी से मैं बनी हूं।।

मैं खुद को कवि नहीं, जीवन अन्वेषक जानती हूं।
प्यार और सम्मान को जीवन की पूंजी मानती हूं।।

अशिष्टता और अतिआधुनिकता से मुझे परहेज है।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता से असीम प्रेम है।।

नवीनता का नहीं, पाश्चात्य संस्कृति की विरोधी हूं।
मैं अपनी ही सभ्यता और संस्कृति की शोधी हूं।।

खुद को मार्डन समझ जो गलत मोड़ पर जाते हैं।
वह और उनके आचरण भी बाजारू हो जाते हैं।।

जो अपने कुटुम्ब तथा उनकी मर्यादा को तोड़ते हैं।
वहीं और उनकी संतान अंततः कष्ट को भोगते हैं।।

हर नारी, नारी के रूप में हमेशा सुशोभित होती है।
कर्त्तव्यी-धर्मशीला - संतोषी की ही पूजा होती है।।

पुरूष का पौरूष के साथ विवेकी रूप ही भाता है।
जो पुरूष विवेकी और उत्तम है वहीं शोभा पाता है।।

छिछोरापन, अकर्मण्यता पुरुष को शोभा नहीं देती।
मर्यादा को तांख पर रखने वाले की पूजा नहीं होती।।

नारी हूं मैं और मर्यादित रह नारी बने रहना भाता है।
समय मुझे जिस स्थिति में लाये उसी में रहना आता है।।

सुनिए! वस्त्रों का ब्रांड नहीं, मनुष्य का ब्रांड देखती हूं।
अपने अधिकारों से पहले अपने कर्त्तव्यों को लेखती हूं।।

मैंने यह गुण अपने पिता और जननी से ही पाया है।
मांगने से मर जाने का गुण मेरे जनक ने सिखाया है।।

किसी के आगे झुकने को मैं कभी ग़लत नहीं मानती हूं।
लेकिन बिना गलती के झुकना अपराध सरीखा जानती हूं।।
= शालिनी सिंह , गोंडा , उत्तर प्रदेश