रिश्तें - आशा पराशर

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अपने रिश्तों को,

दिल में महफूज़ रखे,

अपने ऐतबार की जमीं को,

मजबूत रखे। .

बार- बार इम्तेहान न ले,

आशिक की वफादारी का,

ये काम नहीं है,

किसी कारोबारी का।

अक्सर वही रिश्तें,

तार-तार होते है,

जिनके जमाने में,

बहुत इश्तेहार होते है।

- आशा पराशर , जयपुर (राजस्थान)