पढ़ना लिखना (कविता) = डा.अंजु लता सिंह
Jul 8, 2021, 21:55 IST
| बरसों पहले सुनते थे हम-
'काला अक्षर भैंस बराबर',
अनपढ़ होते दादा-दादी-
नाना नानी भी अक्सर.
फिर भी उनका ज्ञान अनोखा-
भूल नहीं सकते हैं हम,
ढेरों किस्से और कहानी-
मुख से सुनते थे हरदम.
आया नया जमाना फिर तो-
अंग्रेजी स्कूल खुले,
तख्ती, कलम, दवात हट गए-
पेन, डायरी घुले मिले.
ए बी सी डी खूब लिखी फिर-
शाही कलम दवातों से,
हिंदी भी हिंग्लिश बन बैठी-
लच्छे वाली बातों से.
मां बाबा भी माम डैड हो-
मुस्काते खीसें निपोरकर,
अंग्रेजी का भूत लिपटता-
दिखता हर नारी और नर पर.
सुंदर कलम लिये हाथों में-
फिरसे नव इतिहास रचें,
लेखन कला सुखद है सबसे-
आडंबर से सदा बचें.
= डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली