राम यज्ञ - (44वीं समिधा)  - जसवीर सिंह हलधर

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मात शारदा का आराधन ।

शब्दाक्षर मेरे  संसाधन ।।

राम कथानक का संपादन ।

होने वाला शीघ्र प्रकाशन ।।1

रावण चिंतित हो अकुलाया ।

अहिरावण को पास बुलाया ।।

परामर्श नाना से पाया ।

अहिरावण ने खेद जताया ।।2

अहिरावण पाताल पुरोधा ।

जाना माना खलकुल योद्धा ।।

मायावी करतब दिखलावे ।

नागलोक का भूप कहावे ।।3

अपना असली रूप छुपाया ।

भेष बदल खलकामी आया ।।

सम्मोहित कर नारायण को ।

और साथ भ्राता लक्ष्मण को ।।4

अगवा कर ले गया शिविर से ।

सूरज हारा आज तिमिर से ।।

हनुमत भी पहचान न पाये ।

मायावी से धोखा खाये ।।5

अहिरावण ने खेल दिखाया ।

रूप विभीषण का धर आया ।।

मिली सूचना गुप्त विभीषण ।

अपहृत हुए राम व लक्ष्मण  ।।6

रघुकुल का वंश बचाने को ।

दशरथ के अंश बचाने को ।।

हनुमत पाताल लोक धाये।

बजरंगी करतब दिखलाये ।।7

पाताल लोक पहुँचे हनुमत ।

अहिरावण की देखी खलकत ।।

जो द्वारपाल अहिरावण का ।

बेटा है हनुमत चारण का ।।8

हनुमत से उसका नाता है ।

वो मकरध्वज कहलाता है।।

हनुमत ने उससे युद्ध किया ।

बेटे के मन को शुद्ध किया ।।9

लड़ते लड़ते पाया परिचय ।

बेटे का दूर किया संशय ।।

बेटे ने बदल दिया निश्चय ।

हनुमत का साथ दिया निर्भय ।।10

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून