रक्षाबंधन - मुकेश तिवारी

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भाई  बहन का प्यार,

यही है , वह त्योंहार।

          रक्षाबंधन का इजहार,

          यही बहन की मनुहार।

थाली में रखी मिठाई,

बहन ने खुब खिलाई।

          भाई - बहन का आज,

          देखों नटखट अन्दाज़।

रोशन भाई की  कलाई,

बहन है, राखियाँ  लाई।

        इनसे  बढ़  के रिश्ता नहीँ,

        ऐसा  कोई  फरिश्ता नही।

भले धड़कते दो हो अलग,

दिल तो  एक  ही  होते  है।

       बाकि सारे  रिश्ते बनायें,

       ये  बन के आयें  होते हैं।

भाई -  बहन  का प्यार,

इसमें  प्रेम  का है सँसार।

 

        खुशियों  से ये रिश्ता अपार,

        दुआ भरी व  प्यार ही प्यार।

मनाया  जायें  धूमधाम से,

दिन है ये बहन के नाम से।

       बहन से  भाई पहचाना जाये,

      हर वर्ष जल्दी यह दिन आयें।

- मुकेश तिवारी वशिष्ठ, इन्दौर, (म•प्र•)