प्रवीण प्रभाती = कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Jun 25, 2021, 23:42 IST
| बाल रूप युवा रूप सारे रूप हैं अनूप,
मन को सभी के भाएँ मेरे हनुमान जी।
नटखट और चंचल संग अतुल बल,
लील लिये सूर्य को ही मेरे हनुमान जी।
शनि को पछाड़ दिए गिरि को उखाड़ लिए,
दुष्टों का दलन करें मेरे हनुमान जी।
दिन रात नाम जपें सुमिर के कष्ट मिटें,
मन में सदा ही बसें मेरे हनुमान जी।
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मूष की सवारी करें भीर भक्तन की हरें,
विघ्ननाशक देव को सादर प्रणाम है।
माता के वो भक्त वीर आपका है चित्त धीर,
मन में बसा हुआ शिव पार्वती नाम है।
देवों में होड़ लगी मन में नव युक्ति जगी,
परिक्रमा मातुपितु की बुद्धि का काम है।
आदि देव बने आप पूजन से मिटे ताप,
भक्तों के मन भक्ति रहती अविराम है।
= कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव