प्रवीण प्रभाती = कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

 | 
pic

जेठ के बड़े मंगल दूर करें अमंगल,
पवनसुत की कृपा सदा मिलती रहे।
चालीसा हनुमान की रचना गुणगान की,
बजरंगी के नाम की जोत जलती रहे।
पाठ सुबह शाम हो अधरों पे नाम हो,
कृपा पाने की आस मन में पलती रहे।
सजता चोला सिंदूरी करते वो आस पूरी,
छवि  ये मारुति की मन में बसती रहे।
<>
लंबोदर एकदंत रिद्धि-सिद्धि के हैं कंत,
गौरीसुत सदैव ही मंगल किया करें।
आदि देव दयावान भक्त करें गुणगान,
कृपा भरा वरदान भक्तों को दिया करें।
करें मूष की सवारी और सृष्टि को सुखारी,
विघ्न संसार के गणेश हर लिया करें।
दु:ख से लोग जूझते गणेश चौथ पूजते
नाम के आधार पे लोग सब जिया करें।
= कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा