प्रवीण प्रभाती = कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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अंबिका भवानी माता जन्मों से जुड़ा है नाता,
ममता की मूर्ति सदा भक्तों को दुलारतीं।
काम बने नाम लेके भक्ति अविराम देके,
भक्ति से प्रसन्न हो के जीवन सँवारतीं।
बाधा सारी दूर करें, सभी के कष्टों को हरें
जग को जो त्राण देते तुरत संहारतीं।
दिल से जो जपे नाम, उसके तो बने काम
खुशियाँ प्रदान कर कष्टों से ऊबारतीं।
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दशरथ सुत राम अवधपुरी का नाम,
युग युग से ये जन मन में बसा हुआ।
तीन माता चार भ्राता नेह का बड़ा है नाता,
आपस में अटूट प्रेम धागे बँधा हुआ।
पुरवासी प्रीति करें नयनों में छवि भरें,
मन नर-नारियों का राम से जुड़ा हुआ।
कहीं कोई ऐसा नहीं, उन से जो जुड़ा नहीं,
हर कोई राम के ही प्रेम में पगा हुआ।
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भानु का प्रताप भारी पूजे जिन्हें सृष्टि सारी,
जग में उजाला भरें सूर्य अविराम हैं।
सिंह राशि के हैं स्वामी, दिनकर अंर्तयामी,
सदैव चलायमान लें नहीं विराम हैं।
पल घड़ी दिन माह कहीं धूप कहीं छाँह,
गतिविधियाँ चलाना इनके ही काम हैं।
जीवन के सूत्रधार, नमन है बारम्बार
अर्घ्य दे के भोर में ही करते प्रणाम हैं।
= कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोइडा/उन्नाव