प्रवीण प्रभाती = कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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वक्रतुंड श्री गणेश तात आपके महेश,
पार्वती के पुत्र देव आपको प्रणाम है।
मस्तक किरीट सोहे छवि सदा मन मोहे,
सौम्य रूप मनोहारी विग्रह ललाम है।
सर्वत्र मंगल करें सकल विपत्ति हरें,
उसका कल्याण हो जो लेता तव नाम है।
सिंदूरी गजबदन मन से करें नमन,
भक्ति से जपते नाम आठों याम है।
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हरि को प्रणाम करें, भक्त गुणगान करें,
प्रभु की कृपा मिलेगी दिन बन जाएँगे।
दीनों के हैं दीनानाथ, कभी नहीं छोड़ें हाथ,
भीर पड़े भक्तों पे तो, साथ वो निभाएँगे।
जपा करें विष्णु नाम, दुखों को लगे विराम,
विष्णु अवतारी राम, धरती पे आएँगे।
उनकी कृपा मिलेगी नैया सबकी तिरेगी,
बाँह पकड़ के भव पार करवाएँगे।
= कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव