प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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धर्म-कर्म नीति शास्त्र, साधन है यही मात्र,

ईश्वर के चरणों में, नित्य जी लगाइये।

यह लोक सँवारना, परलोक सुधारना,

ध्येय हो ये मानव का, धर्म पहचानिये।

बुरे कर्म नहीं करें, बुराई से मत डरें,

मन रखें सेवा भाव, सत्य अपनाइये।

दीनों के दुख को हरें, वंचितों के घर भरें,

मंगल हो समाज का, रीति अपनाइये।

कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव उत्तर प्रदेश