प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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देश दुश्मनों के मस्तक को, आज झुकाना ही होगा।

भारत रक्षा हित खायीं जो, कसम निभाना ही होगा।1

घृणा अस्मिता से जो करते, तज कर राष्ट्र प्रतीकों को,

राष्ट्र गीत चाहे-अनचाहे, उनको गाना ही होगा।2

जोड़ सके जो सभी नागरिक, देश गान सब मिल गायें,

वंदे भारत की प्यारी धुन, उन्हें बजाना ही होगा।3

देशघात जो करें शक्तियाँ, उनसे मिलकर जब लड़ना,

राष्ट्रवाद की उज्ज्वल धारा, आज बहाना ही होगा।4

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव, उत्तर प्रदेश