प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Nov 2, 2021, 22:11 IST
| पंच पर्व -
कार्तिक में कई पर्व, देश करे बड़ा गर्व,
मिलजुल कर इन्हें, प्रेम से मनाइये।
करवा चौथ पर्व है, हर पत्नी को गर्व है,
धनतेरस, अहोई माँ, पूजिये पूजाइये।
दीप का त्योहार है, प्रकाश की बहार है,
बन्दनवार दीपों से, द्वार को सजाइये।
गोवर्धन पूज कर, कमियों से जूझ कर,
छठ में दिवाकर को, मस्तक नवाईये।
धनतेरस-
तीन दिन बाकी बचे है फिर दिवाली आ रही।
याद हमको यह कराने फिर दिवाली आ रही।
दीपकों की रोशनी से हो रहा जगमग वतन।
भेद दिल के सब मिटाने फिर दिवाली आ रही।
धन्वंतरि ऋषि का जन्मदिवस, धनतेरस रूप मनाते हैं।
घर में धनधान्य रहे हरदम, आभूषण बर्तन लाते हैं।
सुर असुर करें सागर मंथन, ले कलश अमिय का प्रकट हुए।
आयुष पंडित धन्वंतरि को, श्रद्धा से शीश नवाते हैं।
कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव , उत्तर प्रदेश