प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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देश चले उन्नति के पथ पर, सभी साधना करते हैं।

दृढ़ निश्चय से कठिनाई का, रणधीर सामना करते हैं।

भूखा न कभी सोये कोई, बदन वस्त्र सिर पर छत हो।

अब हर आँगन खुशहाल रहे, बस यही कामना करते हैं।

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लोग खोजें नित खुशी, पर झाँकते मन में नहीं।

सूक्ष्म नज़रों से न परखें, वह छिपी है हर कहीं।

भागते मृग की तरह, जो नीर मरु में खोजता।

जब शमित हों कामनाएँ, तो मिलें खुशियाँ यहीं।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव