प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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बदल रहा है देश हमारा, बदल रही है चाल हमारी।
बिंब प्रगति के दिखते चहुँ दिशि, जहाँ कहीं भी नजर पसारी।
फिर भी कुछ संतुष्ट नहीं हैं, चालें नित्य चलें वो टेढ़ी।
उन्नति चक्र नहीं रुक पाये, ये है सब की जिम्मेदारी।
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नाम भजता रहा मन सदा राम का।
सुख मिला नाम जब भी जपा राम का।
बीतता दिन सुमिर राम ही राम नित,
मन थका ही नहीं सँग मिला राम का।
राम का अनुकरण दे सदा शुभ्र फल,
नित जलाते रहें  हिय दिया राम का।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा/उन्नाव